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[Hindi] - Ummed Aur Vishwas Ka Chamatkar (Original recording - voice of Sirshree)
"उम्मीद और विश्वास बड़ी सफलता की छोटी मुख्य मगर कड़ी - उम्मीनाउम्मीदी और अविश्वास की भावना वह धीमा ज़हर है, जो इंसान के जीवन में निराशा फैलाकर उसकी सारी शक्तियाँ नष्ट कर देता है। जबकि उम्मीद और विश्वास की भावना वह अमृत है, जिसकी एक बूँद चखते ही इंसान अपनी उच्चतम संभावनाओं और खुशहाल जीवन की ओर चल पड़ता है* क्या आपके भी जीवन में नाउम्मीदी का ज़हर फैल रहा है?* क्या आपके सामने ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुई है कि आशा की एक हलकी सी किरण भी दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रही है? * क्या आपके मन में मुश्किलों से जूझने के बजाय खुद को सभी तकलीफों से आज़ाद करने के विचार आते हैं?* क्या आप भी निराशा के अंधकार को मिटाकर उत्साह, उमंग और विश्वास की रोशनी में आगे बढ़ना चाहते हैं? यदि उपरोक्त सवालों के जवाब ‘हाँ’ हैं तो यह पुस्तक आपके मन में विश्वास के साथ-साथ उम्मीद जगाए रखने की उम्मीद जगाएगी। उम्मीद सुखी जीवन की वह अनकही कड़ी है, जो छोटी होने पर भी जीवन का मुख्य आधार है। उम्मीद से जुड़े आपके संतोषमय जीवन के लिए उम्मीदभरी शुभकामनाएँ!"
Sirshree (Author), Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Chaitanya Mahaprabhu (Original recording - voice of Sirshree)
"बुद्धि के आर-पार चैतन्य महाप्रभु झूमते-गाते भक्ति द्वारा चैतन्य बनने की कला भक्ति भाव, बोध और आनंद का अनोखा संगम जब-जब धर्म के ठेकेदारों ने समाज में यह भ्रांति फैलाई कि ईश्वर को प्रसन्न रखने का, उसे पाने का मार्ग बहुत कठिन है तब-तब स्वयं भगवान ने अपने ऐसे पारस भक्तों को पृथ्वी पर भेजा, जिन्होंने इस मिथक को खंडित कर दिया। साथ ही जन सामान्य को भक्ति का सहज, सरल पाठ पढ़ाया और उन्हें अपने संपर्क में लेकर सोने की तरह शुद्ध, निर्मल भक्त बना दिया।उन्होंने संदेश फैलाया कि ‘ईश्वर को तो नाचते-गाते, आनंद से जीवन जीते, अपने दैनिक कार्य करते हुए, बस हरि बोलकर, सहजता से पाया जा सकता है। इसलिए धर्म या ईश्वर के नाम पर किसी के चक्कर में फँसने या कर्मकाण्ड में उलझने की बिलकुल ज़रूरत नहीं है। प्रेम से उसका नाम ले लिया तो समझिए वह आपका हो लिया।’ चैतन्य महाप्रभु सखी भाव धारण करनेवाले ऐसे ही महानतम वैष्णव भक्त थे, जिन्होंने बड़े-बड़े वेद-वाक्यों, अनुष्ठानों... आदि को एक सीधे, सरल मंत्र से बदल दिया। उनके मार्ग पर आज भी लाखों-करोड़ों भक्त चल रहे हैं एवं आनंद के साथ भक्ति की अभिव्यक्ति कर रहे हैइस ग्रंथ द्वारा आप चैतन्य महाप्रभु की इसी आनंद लीला के साक्षी बन, भक्ति की विभिन्न अवस्थाओं को समझने जा रहे हैं। उनके पारस प्रभाव से आप भी सोना यानी सोने जैसा भक्त बन, भक्ति एवं आनंद की वर्षा से सराबोर हों, इसी शुभकामना के साथ यह ग्रंथ आपकी सेवा में प्रस्तुत है।"
Sirshree (Author), Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Jeevan me kaise khele khile khule (Original recording - voice of Sirshree)
"जीवन के सिखाने का तरीका प्रत्यक्ष सरश्री की आवाज में बताई गई इस ऑडियो बुक द्वारा जीवन स्वयं हमें जीना सिखाता है। जीवन हमें जीवन बनना सिखाता है। जीवन कभी हमें धक्के देकर सिखाता है तो कभी समस्याओं से लड़कर जीना सिखाता है। ‘जीवन’ इस विषय को जीवन से ही सीखा जा सकता है। जीवन हमें कई तरीकों से सिखाना चाहता है लेकिन हमें जीवन से सीखने का तरीका पता नहीं है। इस ऑडियो बुक द्वारा सरश्री स्वयं हमें वह तरीका बताते हैं। जिसने जीवन में अपने सबक सीख लिये उसी ने सही मायने में जीवन का अर्थ समझा और जीवन जीया। जीवन जीयें नहीं बल्कि जीवन बनें । यह तभी हो सकता है जब हम जीवन में पूरी तरह से खिल पायें और खुल पायें। यह पुस्तक आपको जीवन में खिलने और खुलने का तरीका सिखाती हैऔर इस कार्य में कौन सी बाधायें हैं यह भी बताती है । जीवन समुद्र की तरह गहरा है। जीवन यदि समुद्र है तो यह पुस्तक आपके सामने इस समुद्र से चुने हुए कुछ अनमोल मोतियों पर प्रकाश डालती है, ताकि आप इस पुस्तक से प्रेरणा लेकर स्वयं एक अनमोल मोती बन जायें। आपका जीवन ही दर्शाये कि इस जीवन में किस तरह जीना चाहिये। यह पुस्तक आपके जीवन में छिपी कुछ ऐसी बातों पर प्रकाश डालती है जो आपको खिलने, खुलने से रोकती हैं। जैसे कुछ वृत्तियाँ, पॅटर्नस् और मान्यताएँ। इस पुस्तक में कुछ ऐसे पॅटर्नस् के बारे में जिक्र किया गया है, जिन्हें जानने के बाद आप सोचेंगे कि ‘यह पॅटर्न (आदत) तो मुझ में भी है लेकिन मुझे आज तक पता नहीं था।’इस ऑडियो बुक का उद्देश्य यही है कि इसे सुनकर आपका हर पॅटर्न प्रकाश में आये और वह जल्द से जल्द दूर हो जाय ताकि आप पूरी तरह खिल पायें, खुल पायें और आपका जीवन खुशी की अभिव्यक्ति बने और दूसरों को खुशी देने में निमित्त बने।"
Sirshree (Author), Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Moksha Path Rahasya (Original recording - voice of Sirshree)
"मोक्ष से जुड़ी मान्यताओं ने उसे कठिन बना दिया है। लोग सोचते हैं यह कलयुग है। आज किसी को मोक्ष नहीं मिल सकता क्योंकि आज कोई ऋषि-मुनियों की तरह घोर तप नहीं करता। जिन्होंने ये मान्यताएँ बनाईं इस कल्पना से बनाई कि मोक्ष सिर्फ मृत्यु के बाद ही मिलता है और उन्हें ही मिलता है, जो कठिन साधनाएँ करते हैं।मोक्ष की असली परिभाषा समझ में आए तो इसे पाना हरेक के लिए संभव है। इसके लिए हिमालय पर जाकर घोर तप करने की ज़रूरत नहीं है। इसी जीवन में, संसार में रहते हुए, इंसान मोक्ष पा सकता है। इसके लिए मोक्ष क्या है, यह समझना आवश्यक है। मोक्ष आंतरिक अवस्था है, जो पाना अध्यात्म की राह पर चलनेवालों का परमलक्ष्य है। यह अवस्था भगवान महावीर, गौतम बुद्ध, गुरुनानक, संत तुकाराम, मीरा आदि को प्राप्त हुई थी। इनमें आत्मज्ञान जागा और इन्होंने जीवन के परमसत्य को जाना। उनके जीवन का उद्देश्य सफल हुआ। इसे ही मोक्ष कहा गया है। मोक्ष मन के परे की अवस्था है और हमारा मन ही इसे पाने में सबसे बड़ी बाधा है। मन मोक्ष की कल्पना करता है। अध्यात्म में कहा जाता है कि मोक्ष को कल्पना में नहीं बिठाया जा सकता और न ही उसका शब्दों में वर्णन किया जा सकता है। उसे पाकर ही जाना जा सकता है।मन नकारात्मक भाव लाता है, जिससे इंसान सुख-दुःख के फेरे में फँस जाता है। मगर अध्यात्म कहता है, सुख-दुःख के चक्कर से मुक्ति ही मोक्ष है। मन अपने कार्य का श्रेय लेना चाहता है। श्रेय से अहंभाव जगता है। इंसान खुद कोे तब तक श्रेष्ठ मानता रहता है, जब तक वह अपने से किसी श्रेष्ठ से नहीं मिलता। ऐसा होने पर उसका अहंकार मिटता है। अध्यात्म कहता है, अहंकार का बनना-मिटना समाप्त होना मोक्ष है। मोक्ष पाने के अनेक मार्ग हैं, जैसे नाम सिमरन, भक्ति, संन्यास मार्ग, ध्यान आदि। ये सारे मार्ग अंततः मन के परे जाकर आत्मज्ञान जगाने के लिए ही हैं। मन के परे जाने का आसान मार्ग है, समझ प्राप्त करना और अपने आपको जानना। मन कहाँ दुःख लाता है, श्रेय लेना चाहता है, अहंकार जगाता है, यह ज्ञान हो तो संसार में रहते हुए, सारी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए भी मोक्ष मिल सकता है। संसार को, संसार की घटनाओं को इसके लिए निमित्त बनाया जा सकता है। "
Sirshree (Author), Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Swami Vivekananda (Original recording - voice of Sirshree): Bemisal Guru Lajawab Shishya
"गुरु-शिष्य की अनोखी जोड़ी स्वामी विवेकानंद यह ऑडियो बुक सरश्री की मूल आवाज में बनाई गई है। इसे सुनकर निश्चित ही आप गुरु-शिष्य के रिश्ते का महत्त्व समझ पाएँगे। स्वामी विवेकानंद चेतना के शिखर हैं तो उनकी नींव का पत्थर हैं उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस। जब-जब स्वामी विवेकानंद को याद किया जाता है तो अनायास ही श्री रामकृष्ण परमहंस भी याद आते ही हैं। दोनों का रिश्ता गुरु-शिष्य संबंध की आदर्श मिसाल है। इस ऑडियो बुक में स्वामी विवेकानंद और श्री रामकृष्ण परमहंस के जीवन की कुछ प्रेरक घटनाओं के अलावा एक-दूसरे के प्रति उनके प्रेम और आदर्शों को भी दर्शाया गया है। इसे सुनकर आप समझ सकते हैं कि कैसे गुरु अपने शिष्य को शिक्षा, प्रशिक्षण और कसौटी (टीचिंग, ट्रेनिंग एन्ड टेस्टिंग) के ज़रिए तराशता है। यह ऑडियो बुक आपको उस अनुभव से गुज़रने का मौका देगी, जहाँ गुरु और शिष्य ‘दो शरीर और एक प्राण’ बन जाते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें आप समझेंगे * विवेकानंद के सवालाखी सवाल * विवेकानंद का पहला समाधि अनुभव * विवेकानंद का अपने गुरु के प्रति प्रेम * मूर्तिपूजा रहस्य * धर्म संसद में लोगों का प्रतिसाद * अमेरिका में ज्ञानदान का कार्य * विवेकानंद का युवाओं के लिए मार्गदर्शन"
Sirshree (Author), Bharati Masurkar, Pallavi Chaudhari, Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Meera (Original recording, The - voice of Sirshree): Bhakti ka Himalaya
"भक्ति को मिली मंज़िल 'द मीरा' यह ऑडियो बुक सरश्री की मूल आवाज में बनाई गई है। इसे सुनकर निश्चित ही आप भक्तिमय अनुभव प्राप्त करेंगे। मीरा कही-सुनी कहानी नहीं बल्कि एक हकीकत है। भक्ति की शक्ति को यदि आकार देना हो तो मीरा का चेहरा, मीरा की भाव मुद्रा और मीरा का तंबूरा (एकतारा) सामने आता है। मीरा की ऐसी प्रतिमा सहज ही आपकी आँखों के सामने आती है लेकिन मीरा इस प्रतिमा से बहुत आगे निकल गई है। इस ऑडियो बुक द्वारा आप मीरा की अवस्था को न भी समझ पाएँ लेकिन इसे सुनकर भक्ति की एक किरण ज़रूर प्राप्त कर सकते हैं। मीरा का शाब्दिक अर्थ भक्ति नहीं है लेकिन मीरा शब्द से भक्ति ही याद आती है इसलिए भक्ति का दूसरा नाम मीरा है। इस ऑडियो बुक में भक्त मीरा के जीवन की विविध घटनाओं का वर्णन किया गया है तथा इन घटनाओं के प्रति हमारी समझ क्या हो, इस पर रोशनी डाली गई है। इसके अतिरिक्त इस ऑडियो बुक से आप जानेंगे ः * भाव के प्रभाव का महत्त्व क्या है * मीरा का स्वसंवाद, स्वर और स्वसेवा कैसी थी * स्वयं पर होनेवाले अत्याचार के प्रति, मीरा का प्रतिसाद कैसा था * मीरा की गुरुभक्ति कैसी थी * मीरा के विवाह के चार कारण क्या थे * मीरा के जीवन में हर अत्याचार वरदान कैसे बना * मीरा की उपस्थिति का लाभ औरों को कैसे होता था * जीवन में आनेवाली समस्याओं को मीरा किस नज़र से देखती थी"
Sirshree (Author), Bharati Masurkar, Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Bhagwan Buddha (Original recording - voice of Sirshree): Buddhi ka uchhatam vikas
"मन और बुद्धि के पार - परम बोध यात्रा 'भगवान बुद्ध' यह ऑडियो बुक प्रत्यक्ष सरश्री जी की आवाज में और उसी अवस्था से बताई गई है, जिसे बुद्धत्व कहा जाता है। इसे सुनकर निश्चित ही आप मन और बुद्धि के पार परम बोध की अवस्था का अनुभव करेंगे और जीवन के हर दुःख से मुक्त हो जाएँगे। जो बुद्धि बोध तक ले जाए वही सम्यक बुद्धि, तेज बुद्धि है। बोध यानी समझ, अण्डरस्टैण्डिंग। इस बोध के बाद ही बुद्धत्व प्राप्त किया जा सकता है। 'बुद्ध' कोई नाम या उपनाम नहीं है बल्कि बुद्ध नाम है, उस अवस्था का, जहाँ इंसान यह जान गया है कि 'वह कौन है।' इस अवस्था को कोई भी नाम दिया जा सकता है, जैसे- गुरु नानक, मीरा, संत ज्ञानेश्वर, रामकृष्ण परमहंस, रमण महर्षि, एकनाथ, संत तुकाराम इत्यादि लेकिन सभी में अनुभव एक ही है। वह अनुभव प्राप्त करना ही अध्यात्म है, बुद्धत्व है। भगवान बुद्ध ने लोगों को दुःख का साक्षात्कार करवाया लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें दुःखवादी समझा। बुद्धि का बिना उपयोग किए यदि कोई यह समझ ले तो वह भगवान बुद्ध के उपदेशों से वंचित रह जाएगा, बुद्धि का उच्चतम विकास नहीं कर पाएगा। भगवान बुद्ध ने अपने सम्यक ज्ञान से लोगों की मन:स्थिति देखकर उपदेश बताए। जिन लोगों ने उन्हें ध्यान से सुना, समझा, उन्होंने बुद्ध बोध का पूर्ण लाभ उठाया लेकिन जिन लोगों ने भगवान बुद्ध के केवल शब्द सुनें, वे अपनी मूर्खताओं में लगे रहें। यदि आपने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का असली अर्थ समझ लिया तो यह ऑडियो बुक बोध प्राप्ति के लिए यानी असली सत्य तक पहुँचने के लिए सरल मार्ग बन सकती है। बोध प्राप्ती की इस यात्रा में आप जानेंगे - * सिद्धार्थ कब और क्यों गौतम (खोजी) बने * गौतम की बोध प्राप्ति की यात्रा कैसे सफल बनी * भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को कौन सी शिक्षाएँ प्रदान कीं * भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग * भगवान बुद्ध की दस पारमिताएँ * भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को कौन से सम्यक व्यायाम बताएँ"
Sirshree (Author), Bharati Masurkar, Pallavi Chaudhari, Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Sadguru Nanak (Original recording - voice of Sirshree): Guru nanak ki jeevani aur sikhavan
"एक है वह ईश्वर, जिसने सारी दुनिया बनाई और एक है वह, जिसे हम ईश्वर कहते हैं, जिसे सत्नाम कहा जाता है। गुरु नानक की वाणी से निकला यह महावाक्य ईश्वर की सराहना है और 'सदगुरु नानक' यह ऑडियो बुक वास्तव में गुरु नानक की ही सराहना है। सरश्री की गुरुवाणी में उपलब्ध इस ऑडियो बुक में सहज, सुंदर भाषा में गुरु नानक की जीवनी पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने जीवनभर हुकुम के साथ कार्य किया। हुकुम यानी ईश्वर की आज्ञा। बचपन से ही गुरु नानक देवजी ने जिस 'एक ओंकार...' की बात कही, उसका अनुभव वे स्वयं कर रहे थे। अपने जीवन में उन्होंने समस्त मानव जाति को एक पिता परमेश्वर की संतान माना। वे हर एक में उस 'एक ओंकार...' यानी सेल्फ, ईश्वर, गॉड, परमेश्वर को ही देख रहे थे। उन्होंने लोगों को जो शिक्षाएँ और उपदेश दिए, सबसे पहले स्वयं में उनका पालन होते हुए देखा। लोगों के सामने अपने जीवन का उदाहरण रखा कि संसार में रहकर भी किस प्रकार ईश्वर की आराधना की जा सकती है। इस तरह सरल, सहज और रोचक भाषा में बनी गुरु नानक देवजी की यह ऑडियो बुक सुनकर निश्चित ही सभी को प्रेरणा मिलेगी। इस ऑडियो बुक में गुरु नानक देवजी के जीवन की विविध घटनाओं का वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें आप समझेंगे - * गुरु नानक देवजी के बचपन की अनोखी घटनाएँ * गुरु नानक देवजी का सांसारिक जीवन * सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन में समन्वय * गुरु नानकजी की यात्राएँ * गुरु गादी के सच्चे हकदार के लिए शिष्यों की अतार्किक परिक्षाएँ * गुरु नानकजी की प्रमुख सिखावनियाँ"
Sirshree (Author), Bharati Masurkar, Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Mann Sataye To Kya Kare (Original recording - voice of Sirshree): Mann se mann dwara mukti
"मन से भागें नहीं उसका सामना कर, परेशानी को भगाएँ दुश्मन मन को मित्र कैसे बनाएँ आज तकनीकी विकास के साथ बनी बोलनेवाली मशीन जैसे अलेक्सा, सीरी, गुगल असिस्टंट द्वारा लोग कोई गाना या न्यूज चलाना, किसी को फोन लगाना या मैसेज भेजना आदि कार्य आसानी से कर पाते हैं। मान लें, यदि ये उपकरण बिगड़ जाएँ और बताए गए कार्य के बजाय कुछ और ही करने लगें, खुद ही आपको कुछ गलत समाचार सुनाने लगें, आपको परेशान करने लगें तो आप उसे क्या कहेंगे? आप कहेंगे, ‘जितना बताया, उतना ही करो। तुम मेरे लिए बनाए गए हो, मैं तुम्हारे लिए नहीं।’ मन ऐसी ही बोलनेवाली मशीन है, जिसका रिमोट इंसान के हाथ में है। मगर वह मन की बातों में आ जाता है। मन उसकी सेवा करने के बजाय दुश्मन की तरह, इंसान को ही अपनी सेवा में लगाता है और उसे अपनी ऊँगलियों पर नचाता है। इस पुस्तक में पढ़ें ऐसे उपाय, जिससे आपका मन एक अच्छा मित्र बनकर सदैव आपकी सेवा में तत्पर रहे। * क्या पूछने से मन चुप होगा * क्या सोचने से मन शांत होगा * कौन सा प्रशिक्षण पाकर मन समभाव में रहेगा * मन के विचार चक्र की दिशा कैसे बदलें * मन को यादों से खाली कैसे करें * मन के कोर थॉटस् कैसे पहचानें * सच्चाई को अपना कोर थॉट कैसे बनाएँ * रिश्तों में मन सताए तो क्या करें, क्या न करें * मन में भरी भावनाओं को कैसे देखें * मन के सताने से मुक्ति पाने का आखिरी उपाय क्या है "
Sirshree (Author), Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Tera Lakshya (Original recording - voice of Sirshree): Vishwas Ki Shakti
"विश्वास प्रकट हो तेरा लक्ष्य जानने के लिए विश्वास की शक्ति को पहचानना ज़रूरी है। अगर इंसान को अपने जीवन का लक्ष्य पता हो तो वह अपने अंदर दबे हुए प्रेम और विश्वास को प्रकट करेगा। जो लोग पहाड़ियों, मंदिरों, झरनों तथा नदियों के तट पर जाकर मन्नतें माँगते हैं, उनके जीवन में बहुत से चमत्कार होते हुए दिखाई देते हैं क्योंकि उनके अंदर विश्वास की शक्ति प्रकट होती है। यह शक्ति हरेक के अंदर छिपी है। इसी शक्ति को बाहर लाने में यह पुस्तक आपको सहयोग करेगी। अतः अपने अंदर के विश्वास को प्रकट करें ताकि आपके जीवन में भी चमत्कार होने शुरू हो जाएँ। आप जिन बातों पर विश्वास करते हैं, उन्हें ही अपने जीवन में आकर्षित करते हैं। इस ऑडियो बुक में आप निम्नलिखित सारे सवालों के जवाब जानेंगे, जिससे निश्चित ही आपका विश्वास और अधिक मज़बूत हो जाएगा। 1. कर्मात्मा का त्रिकोण - प्रेम, प्रज्ञा और विश्वास आपके लक्ष्य में कैसे सहयोग करता है? 2. हर बात में हमारा विश्वास पचास प्रतिशत से ऊपर क्यों होना चाहिए? 3. उलटा विश्वास किसे कहा गया है? 4. कैसे कोई अटूट विश्वास से बड़ी से बड़ी बीमारी से भी मुक्त हो जाता है? 5. तीन उलटे विश्वास कौन से हैं? 6. खास फीलिंग क्या है और उसमें कैसे रहें?"
Sirshree (Author), Bharati Masurkar, Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Dil Aur Dimag Ke Beech Taalmel (Original recording - voice of Sirshree): Sikke Ke Do Pahal
"दिल और दिमाग का सही उपयोग इंसान के दिल और दिमाग में अकसर घमासान युद्ध चलता रहता है। इसका कारण है, इन दोनों में ताल-मेल की कमी। जिस कारण जीवन में फैसले लेते समय या रिश्ते निभाते वक्त दिल और दिमाग दुविधा की स्थिति उत्पन्न करते रहते हैं क्योंकि दिल अपना तर्क देता है और दिमाग अपना। दोनों के तर्क-वितर्क में किसकी सुनें? किसके निर्णय को अमल में लाएँ? किसकी जीत हो? ये बड़े पेचीदा प्रश्न हैं। यह पुस्तक आपको दिल और दिमाग की कश्मकश मिटाकर, उन्हें तालमेल के एक धागे में पिरोने की प्रेरणा देती है। इतना ही नहीं बल्कि कौन से समय पर दिमाग की सुनें, कहाँ दिल की और कहाँ दोनों के मेल से निर्णय लें, यह चुनाव करना आपके लिए सहज होगा। इस पुस्तक में दिए गए सात कदमों को जीवन में उतारकर, आप अपने दिमाग की मज़बूरी मिटाकर दिल को राज़ी कर पाएँगे। वे सात कदम इस प्रकार हैं- 1. जुबान के शब्द और दिमाग के विचारों के बीच तालमेल बिठाएँ 2. धीरज के धनवान बनकर हर घटना को पूरा देखें 3. नाभी (अपने अंदर के बच्चे) से जुड़ें ताकि हृदय से जुड़ पाएँ 4. हर घटना में उठनेवाली भावनाओं को तटस्थ होकर सही ढंग से समझें और उनका स्वीकार कर आगे बढ़ें 5. पुराने दायरे से बाहर आकर सोचें यानी ‘आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग’ करने की कला सीखें 6. बेहोशी में डालनेवाले लोगों से न जुड़ें ताकि होश में रह पाएँ। 7. अपने होने के बोध से जुड़कर हृदय की पूर्णता प्राप्त करें।"
Sirshree (Author), Bharati Masurkar, Pallavi Chaudhari, Sirshree (Narrator)
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[Hindi] - Dukh Ki Dava (Original recording - voice of Sirshree): Dukh se mukt aanandit jeevan ki oor
"दुःख की समझ, दुःख का इलाज क्या वाकई जिसे हम दुःख समझते हैं, वह दुःख है? अगर यह सवाल अपने आपसे पूछा जाय तो आपके पचास प्रतिशत दुःख तुरंत समाप्त हो जायेेंगे, अभी इसी वक्त क्योंकि दुःख की समझ ही दुःख का इलाज है! इंसान बचपन से ही जीवन के हर मोड पर दुःख का अनुभव करता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी के दुःख अलग-अलग होते हैं। हर दुःख का इलाज इस पुस्तक में बताया गया है। इंसान को दुःख क्यों होता है, किन कारणों से दुःख होता है और इन दुःखों से हमेशा के लिए मुक्ति पाने की दवा भी इस पुस्तक में बताई गई है। आइए, जानें अपने दुःख की दवा क्या है- 1. दुःख का स्थान भूत और भविष्य में है इसलिए हमेशा वर्तमान में रहना सीखें। 2. हर एक को अपना दुःख बताना बंद करें, इससे दुःख कम नहीं होगा बल्कि और बढ़ेगा। 3. जब भी दुःख आए तो कहें, ‘इस समय मेरे मन में दुःख के विचार पास हो रहे हैं।’ 4. जब भी दुःख आए तब प्रार्थना करें और प्रार्थना में हमेशा सकारात्मक और भक्तियुक्त शब्द कहें। 5. जिस भी ईश्वर में, अल्लाह में आपका विश्वास हो, उस ईश्वर के सामने हर दिन सुबह अपनी सफलताएँ, अपने रिश्तेदार, अपने दुःख एक साथ रख दें यानी इनका भोग लगायें।"
Sirshree (Author), Bharti Masurkar, Sirshree (Narrator)
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