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Audiobooks Narrated by manisha pradhan
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"मनोविकार एक ऐसा विषय है जिसको लेकर भारतीय समाज में कई तरह के अंधविश्वास व्याप्त हैं। मानसिक बीमारियाँ भी शरीर की अन्य व्याधियों की ही तरह होती हैं, इस तथ्य को आज भी भारत के लोग स्वीकार नहीं कर पाते। शिक्षित समाज का व्यवहार भी इस मामले में कुछ अलग नहीं है। पहले तो वे हर मनोविकार को पागलपन से जोड़ देते हैं, और इसे छिपाने की कोशिश करने लगते हैं। दूसरे ऐसे अनेक मनोरोग जो व्यक्ति के जीवन पर दीर्घकालीन प्रभाव डालते रहते हैं, उन्हें इलाज के योग्य ही नहीं माना जाता। यही वजह है कि हमारे यहाँ मनोरोग-विशेषज्ञों की भी भारी कमी है, और उनके स्थान पर झाड़-फूँक और गंडा-ताबीज का बोलबाला है। अपने मौजूदा हालात से सामंजस्य न बिठा पाने की स्थिति को मानसिक तनाव कहा जाता है, इस परिभाषा की रोशनी में देखें तो हमारे आसपास कोई भी ऐसा नहीं है जो आज की बदलती हुई सामाजिक-पारिवारिक-नैतिक और आर्थिक परिस्थितियों के चलते तनाव से पूरी तरह मुक्त हो। तनाव की शुरुआती अवस्थाओं से लेकर सिजोफ्रेनिया और पागलपन तक मनोविकारों की एक लम्बी शृंखला होती है। इसलिए यह जरूरी है कि इस समस्या को गंभीरता से लिया जाए और तनाव कम करने की आध्यात्मिक विधियाँ बेचनेवाले गुरुओं और बाबाओं की शरण में जाने के बजाय इसे वैज्ञानिक ढंग से देखा-समझा जाए। तार्किक जीवन-पद्धति के जुझारू पैरोकार नरेंद्र दाभोलकर की यह पुस्तक इसी विषय पर केंद्रित है। इस पुस्तक का लेखन उन्होंने मनोविकार विशेषज्ञ हमीद दाभोलकर के साथ संयुक्त रूप से किया है। इस तरह एक तरफ जहाँ हम इसमें मानसिक विकारों की संरचना का वैज्ञानिक परिचय पाते हैं, वहीं भारतीय समाज में मनोरोगों को लेकर जो धार्मिक-सामाजिक और आध्यात्मिक अंधविश्वास व्याप्त हैं, उनकी विसंगतियों को भी समझ पाते हैं। साथ ही मनोविकारों और उनके उपचार, मन के व्य"
"प्रेम इंसान को बहुत खूबसूरत बना देता है. कुछ ऐसा ही हाल शिवानी और गर्वित का है. प्रेम में डूबे, शिवानी और गर्वित जैसे फूल और खुशबू, जैसे चांद और रात, जैसे सूरज और रोशनी हैं. फिर उन दोनों के बीच कुछ ऐसा हुआ कि मोहब्बत के रंग फीके पड़ने लगे, विश्वास टूट कर रगों में चुभने लगा. हर मोहब्बत में एक इंटरवल तो होता ही है, क्या इंटरवल के बाद ये प्रेम कहानी अपने मुकाम तक पहुंच पायेगी? क्या गर्वित दोबारा विश्वास के रंग शिवानी में भर पाएगा?क्या होगी उनकी इस लव स्टोरी की एंडिंग?"
"हाउसबोट' केरल के बैकवाटर्स पर तैरती एक मनमोहक प्रेम कहानी है. लेकिन ये महज इश्क़ की आम सी दास्तां नहीं है. यह आज के नौजवानों के दिलो-दिमाग का आईना है, समाज में करवटें लेती, बदलती रवायतों की भी कहानी है. ये आपको हँसाती है तो साथ ही हल्के से आपके आँखों के कोरों को भी गीला कर जाती है. ये कहानी है सुनेत्रा की जो रहती तो है करेल में लेकिन उठते-बैठते हर वक्त वो बॉलीवुड स्टार्स और मूवी के बारे में सोचती रहती है. तो क्या बॉलीवुडिया इश्क़ की दीवानी सुनेत्रा को उसके सपनों जैसा प्यार मिल पाएगा?"